मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मंडियों की आय बढ़ी है। लिहाजा गो आश्रयों को दी जाने वाले दो फीसद सेस को बढ़ाकर तीन कर दें। यह सुनिश्चित कराएं कि यह पैसा उन्हीं संस्थाओं को मिलें जो सेवा भाव से गोआश्रय चलाते हैं। इसका कुछ हिस्सा पशुपालन विभाग को भी दें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को यहां लोकभवन में राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद उप्र के संचालक परिषद की 157वीं बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि खाड़ी देशों में जारी तनाव और बढ़ सकता है। इसकी आड़ में कुछ लोग जरूरी चीजों की कालाबाजारी, भंडारण और तस्करी में लिप्त हो सकते हैं। ऐसे लोग इन चीजों की कृत्रिम कमी बनाकर इनके दाम बढ़ा सकते हैं। इन पर पैनी नजर रखें और जरूरी हो तो कड़ी कार्रवाई करें। दाल, तेल और सब्जियों के दाम पर विशेष नजर रखें।
सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में बनाएं जैविक लैब
मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिया कि जैविक उत्पादों के लिए लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर के साथ ही बुंदेलखंड और पश्चिमी उप्र में भी एक-एक प्रयोगशाला दें। बेहतर तो यह होगा कि हर जिले में उपलब्ध कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में भी इस तरह की एक लैब स्थापित की जाए।
केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश में जो 500 हाट पैठ बनने हैं, वह संबंधित ग्राम पंचायतों की सहमति से बनें। उनके रखरखाव के लिए पंचायतों को जवाबदेह बनाएं। इसके लिए पंचायतें एक न्यूनतम शुल्क भी लें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को यहां लोकभवन में राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद उप्र के संचालक परिषद की 157वीं बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि खाड़ी देशों में जारी तनाव और बढ़ सकता है। इसकी आड़ में कुछ लोग जरूरी चीजों की कालाबाजारी, भंडारण और तस्करी में लिप्त हो सकते हैं। ऐसे लोग इन चीजों की कृत्रिम कमी बनाकर इनके दाम बढ़ा सकते हैं। इन पर पैनी नजर रखें और जरूरी हो तो कड़ी कार्रवाई करें। दाल, तेल और सब्जियों के दाम पर विशेष नजर रखें।
सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में बनाएं जैविक लैब
मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिया कि जैविक उत्पादों के लिए लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर के साथ ही बुंदेलखंड और पश्चिमी उप्र में भी एक-एक प्रयोगशाला दें। बेहतर तो यह होगा कि हर जिले में उपलब्ध कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में भी इस तरह की एक लैब स्थापित की जाए।
केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश में जो 500 हाट पैठ बनने हैं, वह संबंधित ग्राम पंचायतों की सहमति से बनें। उनके रखरखाव के लिए पंचायतों को जवाबदेह बनाएं। इसके लिए पंचायतें एक न्यूनतम शुल्क भी लें।